Gems & stone:-
रत्न प्रकृति का मनुष्य के लिए अनमोल उपहार है| प्रकृति द्वारा लाखों साल तक अपने गर्भ में रखकर उसमे ऐसे विशेष गुण भर दिए जिसे पाकर मनुष्य सदैव लाभान्वित होता रहा है|हमारे ऋषि मुनियों एवं ज्योतिष शास्त्र विदों ने रत्नों के इन गुणों को प्राचीन काल में जानकर इसका लाभ मनुष्यों को पहले ही बता दिया| रत्नों में तरह तरह के रासायनों की वजह से अलग-अलग रंग प्राप्त होते हैं| उदहारण के तौर पर हीरे में कार्बन की अधिकता तथा गोमेद में मैग्नीशियम की बहुतायत से उन्हें वह गुण धर्म प्राप्त हुआ, हजारों डिग्री तापमान तथा दबाव में रहकर रत्नों की रचना होती है|
रत्न कैसे प्रभावी होते हैं? जब कभी भी किसी को कोई ज्योतिषी, कुंडली के अनुसार रत्न पहनने की सलाह देता है वह सबसे पहले जातक के दिमाग में यह प्रश्न उठता है क्या रत्न प्रभावी होते हैं? इसका उत्तर जनने के लिए जरुरी है कि हम मनुष्य के शारीरिक रचना के बारे में जाने| मनुष्य का शरीर में मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम, लौह तथा अन्य अनेक रासायनिक तत्व निश्चित मात्रा में मौजूद होता है| कहीं तत्वों के घटाने बढ़ने की वजह से मनुष्य के आचार विचार तथा रोगों की उत्पत्ति होती है|
ज्योतिष शास्त्र विदों एवं ऋषियों ने उन्हीं तत्वों के गुण के कारण ग्रहों से संबंधित किया जो की ग्रह के गुण धर्म से काफी मेल खता है| इसलिए जब कोई ज्योतिषी किसी जातक को रत्न पहनने की सलाह देता है तो वह उस जातक में उस गुनकी कमी को पूरा करता है जो रत्न के पहनने से रत्न का कुछ हिस्सा तथा प्रकाश का रत्न के द्वारा शरीर में प्रविष्ट होकर उस कमी का निदान करते हैं|
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण आप यूनानी दवाखानों में देख सकते हैं| जिसमे रंगीन बोतलों में दावा अथवा पानी द्वारा मरीज के रोग के हिसाब से इलाज किया जाता है| उदहारण के तौर पर लू लगने पर हरे रंग की बोतल का पानी पिलाने से शरीर की गर्मी कम तथा लू का प्रभाव खत्म होता है| इसी तरह रत्न में मनुष्य के शरीर पर प्रभाव डालता है| किसको कितनी मात्र में होना चाहिए उसका रत्नों में रत्ती के हिसाब से तय किया गया है|
1. जन्मकुंडली में ग्रह की स्थिति।
2. ग्रह की दशा-अन्तर्दशा।
3. ग्रह की गोचरस्थ स्थिति।
यदि ग्रह की स्थिति किसी भी प्रकार से कमजोर है अर्थात् ग्रह कम प्रभावी है तो उस ग्रह को बली करने के लिए उस ग्रह से संबंधित रत्न जातक को धारण कराया जाता है तथा उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
यदि कोई ग्रह बली है तो उस ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए अमुक ग्रह से संबंधित रत्न (नग) को धारण करने की सलाह नहीं दी जाती है बल्कि उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करने तथा उन वस्तुओं के प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है, जिससे उस ग्रह से होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।
सभी ने यह अनुभव किया होगा कि छोटे-छोटे बच्चो शीशे के टूटे हुए टुक़डों को सूर्य की तरफ रखकर उसके नीचे कागज अथवा बी़डी के टुक़डों को जला लेते हैं क्योंकि सूर्य की किरणें शीशे में से निकल कर और अधिक तीव्र हो जाती हैं।
कमजोर नेत्रों वाले विशेष आकार तथा कोण पर बनाए गए शीशे के चश्मों से साधारण चश्मों की अपेक्षा अधिक अच्छा देख पाते हैं क्योंकि नेत्र-ज्योति विशेष आकृति युक्त शीशों से निकलकर और अधिक तीव्र हो जाती है। ठीक इसी प्रकार साधारण नगों की तुलना में विशेष आकृति से युक्त नगों में से उससे संबंधित ग्रह की किरणें और अधिक तीव्र होकर (शरीर से छुए होने के कारण) शरीर के अंदर प्रविष्ट होकर उस ग्रह से संबंधित कमी को दूर कर देती हैं तथा जातक उसी प्रकार की गतिविधि करने लगता है।
सलाह : विशेष ग्रह से संबंधित नग (रत्न) को धारण करना ही हितकर होता है। अत: किसी योग्य व्यक्ति से परामर्श करके ही किसी विशेष परिस्थिति में ग्रह विशेष से संबंधित उचित भार व परिमाण का रत्न धारण करना चाहिए।
किसी भी कुण्डली में दशानुसार ग्रह का उपाय एवं रत्न धारण करने से शुभत्व में वृद्धि होती है वैज्ञानिक रूप से विशिष्ट ग्रह का मंत्रोंच्चारण करने से उस ग्रह की रश्मियों की मानव शरीर के चारो ओर सुरक्षा बन जाती है एवं रत्न रश्मियाँ मानव शरीर में प्रवाहित होकर शुभत्व में वृद्धि करती है अतः रत्न का वेदाग होना एवं शरीर से स्पर्श करना अत्यंत आवश्यक माना गया है| सामान्यतया उपाय ग्रह दशा के फल की वृद्धि के लिए महादशा स्वामी का दिया जाता है| उपाय में मंत्रोंच्चारण दान एवं व्रत ही प्रमुख है| रत्न निर्बल परन्तु लग्नेश, भाग्येश या योगकारक ग्रहों का पहना जाता है|
ज्योतिष के अनुसार रत्न का पूर्ण शुभ फल पाने के लिए इसे शुक्ल पक्ष में निर्दिष्ट वार एवं समय में ही धारण करना चाहिए निर्दिष्ट नक्षत्र में धारण से रत्न और प्रभावशाली हो जाता है इसे निम्नलिखित तालिका में दिये गये ए भार या उससे अधिक भार का लेकर जो पौना न हो जैसे ४-१/४ रत्ती आदि उसे निर्दिष्ट धातु में इस प्रकार जड़वाएं कि रत्न नीचे से अंगुली को स्पर्श करे|
धारण करते समय अपने इष्ट देव का श्रद्धापूर्वक ध्यान करना चाहिए| तत्पश्चात अंगूठी को कच्चे दूध एवं गंगाजल में धोकर शुद्ध करना चाहिए एवं धूप दीप जलाकर संबंधित ग्रह के मंत्र का कम से कम एक माला जाप करना चाहिए फिर अंगूठी को धूप देकर निर्दिष्ट अंगुली में दाएं हाथ में धारण करना चाहिए| अंगूठी धारण के पश्चात यथाशक्ति संबंधित ग्रह के पदार्थों का दान करना चाहिए| पेंडन्ट धारण करे तो भी शरीर को स्पर्श करे|
यदि आप अन्य कोई रत्न पहले से पहने हुए है तो यह ध्यान रखे कि परस्पर विरोधी रत्न एक साथ न पहने|
According to Famous Indian Classical Work- Jatak Parijat,An Immortal Classic of 16th Century,It is a well-known authoritative treatise on hindu astrology that hardly needs any introduction:
“A Gemstone maybe good for a person but at the same time Hazardous for another.”
The Indian treatise Phaldeepika also agrees on the above mentioned views.These gem stones are called Nav-ratnas (Nine Gems). Gemology although not considers them all to be precious stones, but being related to the planets, they are of considerable remedial use. Vedic Astrology since the ancient times has always believed in the healing powers of the gemstones. Here we are going to learn about the various precious as well as semi-precious stones, and about differentiating between auspicious and inauspicious stones as well as the planets and diseases associated with a stone and its curative powers.
We will show you which stone is suitable for you according to your lagan (ascendant) and the position of the planet associated with the stone in your Kundli (chart). We have also provided you with a chart that tells you what gemstone to wear based on your Nirayana Sun sign. We have also parted with information on the rituals believed to be necessary to purify the gemstone before wearing and the mantra associated with that gemstone. Before wearing a stone, we must know whether to wear the stone for an ill-placed planet or a well placed one?
Most of the astrologers follow the same age old principles of recommending the Gem Stones which represent the Ascendant (rising sign), the Fifth lord, the Ninth lord or the Moon sign lord, and avoiding the gem stones for the planets who are the lord of the 6th, 8th and the 12th lord. This is why most of the time people do not get any positive effects.
study the horoscope thoroughly and do the necessary calculations up to the sub lord level (the further sub division of the Nakshatra) and arrive to the best conclusion for a individual horoscope. The stone must ‘arouse’ the qualities that a person needs to become success.
There is particular procedure to be followed while wearing a gem stone.
- Weight of gemstone.
- Right Metal.
- Time, Day, Date and other wearing Instructions for the Gem Stone, to be worn on which specific areas of the body to get positive results·
- Mantra for wearing to keep it pure as well as energized over a period of time.
Kindly opt for our Gem Consultancy Advice in order to know the actual Gem that is going to suit you and give you happiness in every sphere of life.
The following details are required by us: Your Date of Birth, Time of Birth and Place of Birth
According to Indian Vedic Astrology Gemstones are representatives of a particular planet and wearing the planet’s gemstone will attract positive vibration of that planet. People wear gems for strengthening various planets and for propitiation purposes. The first Vedic proof or text that’s refers gems is Hora Sara by Varahamihira.
रत्न – Gemstone
माणिक्य
पन्ना
मोती
Cats Eye
मूँगा
हीरा
Diamond
Blue Sapphire
पुखराज
Yellow Sapphire
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