मूर्खों से ग्रन्थ पढने वाले श्रेष्ठ हैं, ग्रन्थ पढने वालों से ग्रन्थ को धारण करने वाले श्रेष्ठ हैं, धारण करने वालों से ज्ञानी ग्रन्थ को समझने वाले श्रेष्ठ हैं, और ज्ञानियों की अपेक्षा तदनुकूल आचरण करने वाले श्रेष्ठ हैं |
आवश्यकता इस बात की है क़ि जातक किसी श्रेष्ठ दैवज्ञ, ज्योतिषी के द्वारा अपनी कुंडली की जाँच हर एक वर्षबिलकुल वैसे ही करावे जिस प्रकार प्रौढ़ लोग अपने मधुमेह इत्यादि के लिए रक्तजांच कराते हैं एवं चिकित्स्कीय परामर्श लेते हैं , ठीक उसी प्रकार कुंडली में सभी ग्रहों क़ि स्थिति एवं तात्कालिक महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा, प्राण दशा एवं सूक्ष्म दशा इत्यादि के अनुसार शुभाशुभ काल का विनिश्चय कर तदनुकूलरत्न धारण , ब्रत , दान ,जप,पूजन-प्रार्थना इत्यादि श्रद्धा एवं विश्वास से करने से जातक के जीवन में आने वाली समस्याएं कम हो जाती हैं तथा सभी ईश्वरीय शुभ फलों का लाभ प्राप्त होता है |
ज्योतिष शास्त्र इस अपरिमित ,अज्ञात और रहस्यपूर्ण भविष्य को उद्घाटित करने वाला दुरूह विज्ञान है | अतैव इस शास्त्र के प्रति लोक की आस्था , विश्वास और श्रद्धा अति स्वाभाविक है | भारतीय जन – मानस इस शास्त्र में निष्ठा के साथ ओतप्रोत है | ज्योतिष शास्त्र मात्र भविष्य का दिग्दर्शक ही नहीं अपितु वर्तमान का सहायक मित्र भी है | यह शुभाशुभ काल का विनिश्चय कर तदनुकूल कर्त्तव्यों का निर्देशक मित्र है | अभीष्ट कामनाओं की पूर्णता को शुभ मुहूर्तों के माध्यम से सफल बनाता है | अन्यथा प्रतिकूल अवसर पर किया गया कार्य दोष-पूर्ण अथवा निष्फल हो जाता है|
शुभाशुभ काल का विनिश्चय कर तदनुकूलरत्न धारण , ब्रत , दान ,जप,पूजन-प्रार्थना इत्यादि श्रद्धा एवं विश्वास से करने से जातक के जीवन में आने वाली समस्याएं कम हो जाती हैं तथा सभी ईश्वरीय शुभ फलों का लाभ प्राप्त होता है |
” अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
रुद्राक्ष क्या हैं ?
What is Rudraksha
हिन्दू धर्मानुसार भगवान शिव को देव और दानव दोनों का देवता बताया गया है। भगवान शिव के शांत और प्रसन्न स्वभाव के कारण भोला तो प्रलयंकारी स्वभाव के कारण रुद कहा जाता है। भगवान शिव को जो चीजें बहेद प्रिय हैं उनमें शिवलिंग, बेलपत्र आदि के अतिरिक्त रुद्राक्ष एक अहम वस्तु है।
क्या हैं रुद्राक्ष : मान्यता है कि भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ इन रुद्राक्षों में समस्त दुखों को हर लेने की क्षमता होती है। पुराणों और ग्रंथो के अनुसार रुद्राक्ष के प्रकारों पर अलग-अलग मत है। वर्तमान में अधिकतर 14, 5 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष (Gauri Shankar Rudraksha) व गणेश रुद्राक्ष (Ganesh Rudraksha) ही मिल पाते हैं।
रुद्राक्ष के मुख की पहचान उसे बीच से दो टुकड़ों में काट कर की जा सकती है। जितने मुख होते हैं उतनी ही फांके नजर आती हैं। हर रुद्राक्ष किसी न किसी ग्रह और देवता का प्रतिनिधित्व करता है।
रुद्राक्ष के फायदे: रुद्राक्ष धारण करने का सबसे बड़ा फायदा
यह माना जाता है कि इसे धारण करने का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है। रुद्राक्ष को पहनने के लिए कोई नियम नहीं है। यह कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थिति में धारण कर सकता है