प्रश्न कुण्डली शास्त्र

प्रश्न ज्योतिष,
ज्योतिष कि वह कला है जिससे आप अपने मन की कार्यसिद्धि को जान सकते है. कोई घटना घटित होगी या नहीं, यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है
प्रश्न समय निर्धारण के विषय में प्रश्न कुण्डली का नियम है कि जब प्रश्नकर्ता के मन में प्रश्न उत्पन्न हो वही प्रश्न का सही समय है
जैसे- प्रश्नकर्ता ने फोन किया और उस समय ज्योतिषी ने जो समय प्रश्नकर्ता को दिया, इन दोनो मे वह समय लिया जायेगा जिस समय ज्योतिषी ने फोन सुना, वही प्रश्न कुण्डली का समय है.
इसी प्रकार प्रश्नकर्ता आगरा से फोन करता है, और ज्योतिषी दिल्ली में फोन से प्रश्न सुनता है. इस स्थिति में प्रश्न कुण्डली का स्थान दिल्ली होगा. प्रश्न कुण्डली का प्रयोग आज के समय में और भी ज्यादा हो गया है.
कई प्रश्नो का जवाब जन्म कुण्डली से देखना मुश्किल होता है, जबकि प्रश्न कुन्ड्ली से उन्हे आसानी से देखा जा सकता है. प्रश्न कुण्डली से जाना जा सकता है कि अमुक इच्छा पूरी होगी या नहीं ,
प्रश्न कुण्डली से उन प्रश्नो का भी जवाब पाया जा सकता है जिसका जवाब हां या ना में दिया जा सकता है जैसे अमुक मामले में जीत होगी या हार, बीमार व्यक्ति स्वस्थ होगा या नहीं, घर से गया व्यक्ति वापस लौटेगा या नहीं. इतना ही नहीं प्रश्न कुण्डली से यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि खोया सामान मिलेगा अथवा नहीं.
प्रश्न कुण्डली शास्त्र
क्या आपके पास कुंडली नहीं है ? क्या आप अपना जन्मतिथि एवं जन्म समय नहीं जानते ? पर आप ज्योतिषीय परामर्श लेना चाहते हैं ? तो ज्योतिष शास्त्र के तात्कालिक प्रश्न कुंडली के आधार पर आपके प्रश्न का उत्तर दिया जा सकता है और यह पूर्णतः शास्त्र सम्मत भी है |

प्रश्न काल में देखने योग्य सावधानियाँ :::~~~
रास्ते में आते जाते समय, सोये हुए ज्योतिषी को जगाकर, सामुहिक रूप से लोगों के बीच ज्योतिष सम्बंधित प्रश्न नहीं करना चाहिए अर्थात फलादेश ना करें|
ज्योतिष का चित प्रसन्न हो, ज्योतिष के पास समय हो, ज्योतिष को दान द्रव्य इत्यादि दक्षिणा देने के उपरान्त ही अपना प्रश्न करें अर्थात ज्योतिष महोदय का आशीर्वाद भी आपके लिए अमूल्य उपाय के रूप में होगा|
प्रश्न कुंडली के आधार पर विवाह सम्बंधित प्रश्न
तात्कालिक कुण्डली में यदि चन्द्रमा १०,११,३,७,५ भाव में स्थित हो, तो शादी होती है किन्तु यदि चन्द्रमा को इन स्थानों में गुरु देखता हो, तो अतिशीघ्र विवाह होगा|
२,४,७ तीनों में से कोई एक लग्न हो, शुभ ग्रह लग्न में स्थित हो या शुभ ग्रह से दृष्ट हो, तो शीघ्र विवाह होगा|
यदि लग्न पाप ग्रहों का हो, पाप ग्रह लग्न में हो, सप्तम भी पीड़ित हो, युत या दृष्ट से शत्रु ग्रही हो, तो विवाह नहीं होगा अर्थात तत्काल शादी का योग नहीं है|
विवाह योग
यदि चन्द्रमा लग्न में हो, सप्तम में मंगल हो, षष्ट भाव व अष्टम भाव में पाप ग्रह हो तो ऐसे योग में विवाह असफल होता है|
यदि चन्द्रमा प्रश्न लग्न में ३,५,६,७,११ भाव में स्थित हो तथा गुरु, रवि, बुध से देखा जाता हो तब विवाह होता है|
प्रश्न लग्न में केंद्र स्थान १,४,७,१० तथा त्रिकोण स्थान ५,९ इन भावों शुभ ग्रह हो तो भी विवाह योग बनाता है|
वर एवं कन्या के विवाह का प्रश्न
कन्या पक्ष : प्रश्न कुण्डली में यदि चन्द्र व शुक्र विषम राशि में स्थित हो और दोनों ही विषम नवमांश में भी हो, तो शीघ्र ही कन्या को वर मिलता है|
वर पक्ष : यदि सम राशि में चन्द्र व शुक्र हो सम नवमांश में भी हो तो वर को शीघ्र ही कन्या मिलेगी|
भाव फल
जो-जो भाव अपने स्वामी से दृष्ट हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हों उस भाव की वृद्धि होती है, बाकी भाव में पाप ग्रह हो या पाप ग्रह से दृष्ट हो तो उस भाव का हानि होगा|
प्रश्न कुण्डली तथा लग्न कुण्डली दोनों में इसका विचार करना चाहिए|
केंद्र स्थान में विचारणीय विषय
लग्न- स्थानान्तरण, वास्तु का नष्ट होना, वर्षा होना, पद का त्याग या अन्य कोई भी त्याग हो
चतुर्थ-वृद्धि, पदोन्नति, मकान का कान तथा हर वो काम जिस काम में वृद्धि होती होती है|
सप्तम-निवृति, आगमन, यात्रा से आगमन, पत्नी का वापस आना, चोरी गयी सामान का मिलाना, ना मिलना, रोग निवृति, जेल से निवृति, जमानत
दशम-यात्रा, प्रवास, पासपोर्ट, बीजा इत्यादि

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